Punjab news point : विश्व में भूखमरी, जलवायु संकट और फूड सप्लाई के अलावा बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। भारत समेत दुनियाभर के जी-20 देशो में यह एक आम समस्या बन गई है। पहले एक धारणा थी कि विकसित देशों की तुलना में विकासशील और गरीब देशों में यह समस्या ज्यादा है, लेकिन पिछले कुछ समय में अब यह विकसित देशों में भी देखने को मिल रही है।
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट की मानें तो भारत में कोविड-19 महामारी के बाद से बेरोजगारी दर में कमी आई है, लेकिन पढ़े-लिखे स्नातक युवा अभी भी 15 फीसदी से ज्यादा बेरोजगार है। इन सबके बीच रोजगार का नुकसान भी ज्यादा हुआ है एक रिपोर्ट की मानें तो कुल वर्क फोर्स में महिलाओं की संख्या में कमी आई है। भारत में लोग पैसा सेविंग करने की बजाय उधार लेकर खर्च कर रहे हैं। आम भारतीयों को रोजमर्रा के जीवनयापन के लिए काम करना पड़ता है। क्योंकि उनके पास पारिवारिक संपत्ति का अभाव होता है।
बेरोजगारी उच्च स्तर पर बनी हुई है
भारतीयों में उधार लेकर पैसा खर्च करने की प्रवृति बढ़ रही है। इसका प्रमुख कारण उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियों का अभाव है। यहां उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियों से तात्पर्य एक ऐसी नौकरी जो अच्छे वेतन की पेशकश करती हो। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 2023 की रिपोर्ट की मानें तो 1980 के दशक में अनुसूचित जाति से जुड़े लोग कचरा निष्पादन के कामों में पांच गुना तथा चमड़े से जुड़े कार्यों में 4 गुना से अधिक थे। लेकिन हाल के वर्षों में इसमें कमी देखने को मिली है। इसका प्रमुख कारण शिक्षा का बढ़ता प्रचार-प्रसार। रिपोर्ट के अनुसार नियमित वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों की संख्या में 2019 के बाद से घटने लगी है। बेरोजगारी बेशक कम हुई है लेकिन यह अभी भी उच्च स्तर पर बनी हुई है।
स्व-रोजगार बना बड़ा फैक्टर
कोविड-19 महामारी के बाद शैक्षणिक स्तर पर बेरोजगारी की दर में कमी आई है। लेकिन स्नातकों के मामले में 15 फीसदी और उच्च स्नातकों के मामले में 42 फीसदी है। रिपोर्ट के अनुसार बुजूर्ग श्रमिकों और कम शिक्षित श्रमिकों में यह 2 फीसदी के आसपास बनी हुई है। रिपोर्ट में महिलाओं को लेकर भी रोचक जानकारी सामने आई है। 2004 के बाद से महिला रोजगार की दर में इजाफा हुआ है इसका सबसे बड़ा कारण स्व-रोजगार है। महिलाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर बड़े स्तर पर स्वरोजगार पैदा करने में सक्षम हुई है। इस रिपोर्ट में चिंताजनक बात यह है कि कम वेतन वाले व्यवसायों में महिलाओं और अनुसूचित जातियों का प्रतिनिधित्व उम्मीद से अधिक है।
चुनावी एजेंडे में शामिल हो रोजगार
रोजगार के मोर्चे पर यह स्थिति भारत के लिए दुखद है। हमें देश की उपलब्धियों और क्षमताओं को स्वीकार करते हुए इस स्थिति को स्वीकार करना चाहिए। भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। यहां औसत आयु 28 वर्ष है। भारत में युवा पुरुषों एवं महिलाओं को वेतन वाले रोजगार की आवश्यकता है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टियों के एजेंडे में युवा सर्वोपरि होना चाहिए। राजनीतिक दलों को बताना चाहिए कि रोजगार के मोर्चे पर वे भारतीय युवाओं के लिए क्या प्रयास कर सकते हैं?