Punjab news point : भारत की हमेशा से ही हस्तक्षेप की नीति रही है. इसका मतलब यह हुआ कि भारत पड़ोसी या फिर अन्य मुल्कों के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता है और न ही किसी देश पर ‘हड़प नीति’ वाला फॉर्मूला थोपने की कोशिश करता है. हालांकि, पड़ोसी देश चीन की नीति इससे ठीक उलट है. पिछले दिनों चीन ने अरुणाचल प्रदेश को लेकर आपत्तिजनक रुख अपनाया था. इससे पहले ही बिना किसी पूर्व सूचना के हिन्द महासागर में उसके पोत और पनडुब्बियां विचरती रही हैं. अब भारत ने ऐसा कदम उठाया है, जिससे चीन के होश फाख्ता हो गए हैं. भारत एक साथ कई देशों में स्थित अपने दूतावासो में सैन्य दूत (Defence Attaché) नियुक्त करने की तैयारी कर रहा है. इन्हें विदेशी राजनयिकों की तरह ही छूट प्राप्त होंगे. भारत के इस कदम से चीन बेचैन हो उठा है.
दरअसल, भारत पहली बार प्रमुख क्षेत्रों के साथ रणनीतिक संबंधों का विस्तार करने की अपनी व्यापक नीति के अनुरूप इथियोपिया, मोजाम्बिक, आइवरी कोस्ट, फिलीपीन, आर्मीनिया और पोलैंड सहित कई देशों में रक्षा अताशे (सैन्य दूत) तैनात करेगा. सूत्रों ने बताया कि भारत अफ्रीकी देश जिबूती के लिए एक नया रक्षा अताशे भी नियुक्त कर रहा है, जो लाल सागर और अदन की खाड़ी के आसपास एक प्रमुख समुद्री प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है और सैन्य अड्डों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है. यह भी पता चला है कि भारत मॉस्को में अपने दूतावास और लंदन में उच्चायोग में सैन्य अधिकारियों की टीमों की संख्या को तर्कसंगत बनाने की योजना बना रहा है.