Punjab news point : करीब एक हफ्ते पहले 81.5 करोड़ भारतीयों के डेटा के संदिग्ध लीक पर खबर की गई थी. यह डेटा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के पास था. अब केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि हां, एक उल्लंघन हुआ था. केंद्रीय राज्य मंत्री इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राजीव चंद्रशेखर, ने भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “लीक के सबूत हैं और जांच चल रही है, लेकिन डेटा चोरी नहीं हुआ है. कोविड महामारी के दौरान, काफी सारे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर टीकाकरण, डायग्नोसिस ट्रैकिंग हुआ था, और ये विशेष रूप से स्वास्थ्य मंत्रालय में और उससे संबंधित स्वास्थ्य विभागों में की गई थी.
राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि इसको लेकर राज्य और केंद्र में भी अलग-अलग डेटाबेस बने थे. इसके लिए काफी सारे लोगों को एक्सेस भी दिया गया था. उसमें लीक हुआ है, ये एक सबूत आया है, उसकी जांच चल रही है. मंत्री चंद्रशेखर ने संवाददाताओं से कहा कि मैंने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के पास होने के समय पर कहा था कि सरकार के सिस्टम में इस नए फ्रेमवर्क को एडजस्ट करने के लिए थोड़ा समय लगेगा.’
डेटा चोरी नहीं हुई, CBI द्वारा जांच करने की संभावना
एक न्यूज़ एजेंसी ने सबसे पहले संदिग्ध डेटा लीक के बारे में रिपोर्ट दी थी और कहा था कि टेस्ट डेटा बिक्री के लिए उपलब्ध है. विभिन्न विपक्षी नेताओं, राज्य के मंत्रियों के साथ-साथ विशेषज्ञों ने रिपोर्ट के आधार पर मुद्दा उठाया था. तब मंत्री ने कहा कि डेटा चोरी नहीं हुई है. उन्होंने साफ किया कि हम मानते हैं कि एडजस्ट होने में इसको एक साल लगेगा. चोरी नहीं हुई, थोड़ा मेरे हिसाब से, जो मुझे मालूम है, थोड़ा उल्लंघन हुआ है. घटना की गंभीर प्रकृति को देखते हुए, भारत की प्रमुख एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा इसकी जांच करने की संभावना है. मामला एक बार ICMR द्वारा शिकायत दर्ज कराने का है.