Punjab news point : बिहार जाति सर्वेक्षण के नतीजे ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी सहित शीर्ष कांग्रेस नेताओं द्वारा प्रचारित ‘जितनी आबादी, उतना हक’ को लेकर देशव्यापी बहस छेड़ दी है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं ने इस मुद्दे के पक्ष में अपना समर्थन जाहिर किया है.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए ‘जितनी आबादी उतना हक’ का दांव कम से कम 105 सीटों पर उल्टा पड़ सकता है, जहां ऊंची जातियों का वर्चस्व है. इस मामले में भाजपा बहुत सावधानी से आगे बढ़ रही है- किसी भी पक्ष का साथ नहीं दे रही है. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में एक जनसभा में यह कहकर इसे एक अलग मोड़ दे दिया है कि ‘मेरे लिए गरीबी सबसे बड़ी जाति है.
मध्य प्रदेश में ऊंची जातियों के प्रभुत्व वाली 105 सीटों में से 60 सीटें ऐसी हैं जहां ब्राह्मणों का दबदबा है, जबकि 45 सीटों पर ठाकुर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. मध्य प्रदेश का विंध्य क्षेत्र पूरे भारत के उन कुछ क्षेत्रों में से एक है जहां ब्राह्मणों का दबदबा है. अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में कहा गया है कि मध्य प्रदेश के कुल 29% ऊंची जाति के मतदाता अकेले इसी क्षेत्र से हैं. विंध्य क्षेत्र में 7 जिले और 30 विधानसभा क्षेत्र हैं.
और तो और, 30 सीटों में से 23 पर 30% से अधिक ब्राह्मण मतदाता हैं. राज्य भर में, लगभग 45 लाख ब्राह्मण मतदाता हैं, जो कुल मतदाताओं का 10% से अधिक है. यदि आप सोचते हैं कि केवल विंध्य क्षेत्र में ही ब्राह्मणों का दबदबा है, तो आप गलत हैं. चंबल और महाकौशल क्षेत्र की कई विधानसभा सीटों पर भी वे निर्णायक कारक हैं. इस जाति के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि होशंगाबाद निर्वाचन क्षेत्र में 61 वर्षों में 22 ब्राह्मण विधायक बने हैं, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल के हों.