Punjab news point : पंजाब के बहुचर्चित टीचिंग फेलो घोटाले में विजिलेंस ब्यूरो ने नया केस दर्ज किया है। यह केस मलेरकोटला में 11 अक्टूबर को दर्ज कराया गया है। जिसमें फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर पंजाब शिक्षा विभाग और उनके संबंधित जिलों के विभिन्न जिला शिक्षा अधिकारियों के साथ-साथ 7 टीचिंग फेलो को भी नामजद किया। पंजाब के 19 जिलों के शेष टीचिंग फेलो के खिलाफ मामला दर्ज करवाने की मांग की गई है।
विजिलेंस द्वारा अब तक की जांच में सामने आया है कि राज्य के 20 जिलों में कुल 9 हजार 998 टीचिंग फैलोज भर्ती किए गए। इन्होंने नौकरी हासिल करने के लिए जो दस्तावेज मुहैया कराए थे, उनकी जांच विभिन्न जिला स्तरीय कमेटियों द्वारा 11 अगस्त 2009 से 13 अगस्त 2009 तक की थी। 19 अक्टूबर 2009 को तत्कालीन डायरेक्टर शिक्षा विभाग एलीमेंट्री साधू सिंह रंधावा द्वारा अपने एक पत्र के द्वारा बोगस सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी हासिल करने वाले उम्मीदवारों को नौकरी से निकालने के आदेश जारी किए गए थे।
बाद में जब निष्कासित अभ्यर्थियों ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर की तो सरकार ने शिक्षा विभाग के निदेशक के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर निष्कासित अभ्यर्थियों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया। इसके बाद कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक हटाए गये 583 अभ्यर्थियों में से 457 के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गये। जिसके चलते उस वक्त इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज करने का फैसला लिया गया था। जिसके खिलाफ इन अभ्यर्थियों ने फिर से हाईकोर्ट में रिट दायर की है।
इसके बाद में 11 अगस्त 2010 को हाईकोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से राज्य के अलग-अलग जिलों में कुछ अभ्यर्थियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए, जिनमें बठिंडा से 5, फिरोजपुर से 3, होशियारपुर से 8, कपूरथला, लुधियाना से 7, मुक्तसर से 4, पटियाला से 1 और रोपड़ के 2 टीचिंग फेलो पर शिक्षा विभाग द्वारा दर्ज मामले चल रहे हैं।