Punjab news point : बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से झटका लगा. न्यायालय ने अपीलीय न्यायाधिकरण के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें ट्रस्ट को योग शिविरों के आयोजन के लिए प्रवेश शुल्क लेने पर सेवा कर का भुगतान करने को कहा गया था.
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) की इलाहाबाद पीठ के पांच अक्टूबर, 2023 को आए फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.पीठ ने ट्रस्ट की अपील खारिज करते हुए कहा, ‘न्यायाधिकरण ने ठीक ही कहा है कि शुल्क वाले शिविरों में योग करना एक सेवा है. हमें इस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला. अपील खारिज की जाती है.’
सीईएसटीएटी ने अपने आदेश में कहा था कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की तरफ से आयोजित आवासीय एवं गैर-आवासीय योग शिविरों में शामिल होने के लिए शुल्क लिया जाता है लिहाजा यह ‘स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा’ की श्रेणी में आता है और इस पर सेवा कर लगेगा. योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के अधीन काम करने वाला यह ट्रस्ट विभिन्न न्यायाधिकरण ने अपने आदेश में कहा था कि प्रतिभागियों से दान के रूप में योग शिविरों के लिए शुल्क एकत्र किया गया था. हालांकि, यह राशि दान के रूप में एकत्र की गई थी, लेकिन यह उक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए शुल्क ही था. इसलिए यह शुल्क की परिभाषा के तहत आता है.शिविरों में योग प्रशिक्षण प्रदान करने में लगा हुआ था.