Punjab news point : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल करेंगे. इसके लिए चार प्रस्तावकों का नाम फाइनल किया गया है, जिसमें पंडित गणेश्वर शास्त्री, बैजनाथ पटेल, लालचंद कुशवाहा और संजय सोनकर का नाम शामिल है. वहीं इन नामों के सामने आने के बाद अब सियासी अटकलें शुरू हो गई हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश के कई लोकसभा सीटों पर चुनाव होना बाकी है और इन सभी सीटों पर ओबीसी और दलितों का प्रभाव ज्यादा है. इसलिए इसको जातिगत वोटबैंक साधने का एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
पूर्वांचल की 26 सीटों पर इन जातियों का बोलबाला
यूपी का पूर्वांचल इलाका भी अपनी एक अलग सियासत लेकर आता है. इस क्षेत्र से लोकसभा की कुल 26 सीटें निकलती हैं. पूरे यूपी की ही 32 फीसदी आबादी इस पूर्वांचल में रहती है. इसे यूपी का पिछड़ा इलाका भी माना जाता है और किसानों की यहां निर्णायक भूमिका रहती है. लेकिन पिछड़े होने के बावजूद देश को पांच प्रधानमंत्री देने वाला इलाका भी ये पूर्वांचल ही है. इस क्षेत्र में राजभर, निषाद और चौहान जाति का बोलबाला रहता है. पूर्वांचल में वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, गोरखपुर, कुशीनगर, सोनभद्र, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा जैसे जिले आते हैं.
अवध में ओबीसी का दबदबा
पूर्वांचल के बाद अगर यूपी में किसी क्षेत्र को सबसे बड़ा माना जाता है तो वो अवध है. इसे जानकार मिनी यूपी भी कहते हैं. इस क्षेत्र में किसी भी पार्टी के लिए जीत का मतलब होता है कि पूर्वांचल में भी अच्छा प्रदर्शन होने वाला है. इस क्षेत्र में ब्राह्माणों की आबादी 12 फीसदी के करीब रहती है, 7 फीसदी ठाकुर और 5 फीसदी बनिया समाज भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता है. ओबीसी वर्ग का 43 फीसदी हिस्सा भी अवध में रहता है, यहां भी यादव समाज 7 प्रतिशत के करीब है. कुर्मी समुदाय भी 7 फीसदी ही चल रहा है। अवध से कुल लोकसभा की 18 सीटें निकलती हैं.
पूर्वांचल में जातियों का कॉकटेल
पिछड़ा इलाका होने के बावजूद यहां बिरादरी फर्स्ट, दल सेकंड और मुद्दा लास्ट है. विश्लेषक कहते हैं कि जातियों में गुंथी यहां की राजनीति में हर सवाल का जवाब जाति ही है. फिर चाहे रोजगार, आरक्षण, विकास या कोई दूसरा मुद्दा हो. पूर्वांचल पिछड़ी, अति पिछड़ी, सवर्ण, दलित और MY समीकरण का कॉकटेल है. यूं कहें छोटी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों की लेबोरेटरी. गोरखपुर (ग्रामीण), संतकबीरनगर में निषाद जाति की मौजूदगी है. वहीं जौनपुर, आजमगढ़, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती, वाराणसी में समुदाय की उपजातियां जैसे मांझी, केवट, बिंद, मल्लाह मिलती हैं. ये मछुआरों और नाविक समुदाय के लोग हैं.